बह चली हवा, वर्षा ने भी अपना कमाल दिखलाया है
जिसका था इन्तजार कबसे, वो मौसम कल ही आया है
डाली-डाली है झूम रही कलियाँ कोमल मुसकायी हैं
पंक्षी भी चहक रहे देखो जबसे ऋतु प्यारी आयी है
जंगल में जीव सभी मंगल गीतों पर तान दे रहे हैं
मानो मिल गयी मांगी मुराद ऐसा गीतों में कह रहे हैं।
फसलें जो सूख रही थी उनको जीवन दान मिल दूजा
खुश होकर मन ही मन किसान ईश्वर की करता है पूजा
पानी की कमी नहीं होगी इस मौसम के आ जाने से
बिजली भी पानी से बनती वो भी आयेगी आने से
झगड़ा पानी पर ना होगा, घर में भी पानी आएगा
मालिक मकान का खुश होकर मोटर भी रोज चलाएगा
छुट्टी करने वालों को भी बारिश में मौका मिलता है
'शिशु' कहते हैं इस बारिश में ही कमल-कुमुदिनी खिलता है
जिसका था इन्तजार कबसे, वो मौसम कल ही आया है
डाली-डाली है झूम रही कलियाँ कोमल मुसकायी हैं
पंक्षी भी चहक रहे देखो जबसे ऋतु प्यारी आयी है
जंगल में जीव सभी मंगल गीतों पर तान दे रहे हैं
मानो मिल गयी मांगी मुराद ऐसा गीतों में कह रहे हैं।
फसलें जो सूख रही थी उनको जीवन दान मिल दूजा
खुश होकर मन ही मन किसान ईश्वर की करता है पूजा
पानी की कमी नहीं होगी इस मौसम के आ जाने से
बिजली भी पानी से बनती वो भी आयेगी आने से
झगड़ा पानी पर ना होगा, घर में भी पानी आएगा
मालिक मकान का खुश होकर मोटर भी रोज चलाएगा
छुट्टी करने वालों को भी बारिश में मौका मिलता है
'शिशु' कहते हैं इस बारिश में ही कमल-कुमुदिनी खिलता है
2 comments:
वर्षाऋतु के स्वागत में लिखी गयी सुंदर कविता .. बधाई !!
बहुत सुन्दर और मनमोहक प्रस्तुति है
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
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