Tuesday, November 24, 2009

अब दहेज़ की प्रथा गाँव में इतनी बढ़ गई ज्यादा...,

अब दहेज़ की प्रथा गाँव में इतनी बढ़ गई ज्यादा,
नर तो मान भी जाते लेकिन नही मानती मादा
बोली सास, साज सज्जा का ध्यान बराबर रखना,
शादी से पहले का वादा ध्यान बराबर रखना
टी.वी., फ्रिज, एसी तुम देना गाँव में बिजली आयी,
टी.वी पर देखी मशीन एक वो भी मन को भायी।
चैन बिना ना चैन मिलेगा, हार बिना तुम समझो हार,
एक लाख कैश दे देना जब बारात पहुंचेगी द्वार।
चार जमाई चार लड़कियां सबको कपड़े लाना।
बिन ब्याही छोटे लडकी को सूट फैंसी लाना।
मुझे बनारस वाली साड़ी इनको लाना सूट,
सब बच्चो को कोट पैंट और साथ में बूट।
मोटर साईकिल मांग रहा दुल्हे का छोटा भाई,
सुनकर ये लडकी वालों के तब जां आफत में आयी।
ससुर बोलता मैं क्या बोलूँ, मेरी चलती ये ना लेता,
एक कार दो लाख साथ में उससे काम चला लेता।
'शिशु' कहें हालात दोस्तों इतने बिगड़ रहे
इस दहेज़ के चक्कर में घर कितनो के उजड़ रहे।

2 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत सामयिक रचना! दहेज का विरोध जरूरी है। लड़कों की कोई कमी नहीं है।
घुघूती बासूती

Anonymous said...

bahut achhi aur samaj ke liye jaruri rachna

Popular Posts

Modern ideology

I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...