Thursday, November 26, 2009

उर्दू में होती यदि गीता, संस्कृत में पाक कुरआन!!!

मन्दिर में रहते यदि अल्ला, मस्जिद में रहते भगवान!
तब क्या कम हो जाता मान?

अगर मौलवी पढ़ते गीता, पंडित पढ़ते पाक कुरआन!
क्या वे कहलाते अज्ञान?

उर्दू में होती यदि गीता, संस्कृत में पाक कुरआन
तब क्या करता कोई अपमान?

मुस्लिम भजन-कीर्तन करते हिंदू देते अगर अजान!
तब क्या कम होते गुणगान?


बन्दा तू अल्ला का भी है तुझे प्यार करते भगवान्
ना ही हिन्दू ना ही मुस्लिम 'शिशु' तो हैं सब एक समान।
इतना जान! बस इतना जान!

1 comment:

shikha said...

Shishupal ji kya khuub likha hai!!!

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