एक भिखारिन सड़क पर मांग रही थी भीख,
छोटी बच्ची साथ में उसके, देती थी ये सीख-
कपड़े मैले पहन अरी ओ, आँख में आंसू आने दे,
बिना लिए पैसे हुजूर से बिल्कुल ना घर जाने दे,
बाबूजी-बाबूजी बोल, रोककर के दिखलाती जा,
माता जी भूखीं हूँ कल से, बातें नयी बनाती जा,
पकड़ हांथ में बैसाखी ये, लंगड़ी भी बन जाना,
गांठ बाँध ले बात हमारी भर दिन कुछ ना खाना!
'शिशु' ने उस बच्ची को एक दिन दौड़ लगाते पाया,
सोंचा ये इंसान की देन है या ईश्वर की माया!
1 comment:
ऐसा ही होता है !!
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