Thursday, September 9, 2010

कहीं भिखारी के चक्कर में दूसरा ना पीसे जेल की चक्की.

सभी भिखारी आजकल करतब रहे हैं सीख,
करतब करके खेल में वे सब मांगेंगे भीख, 
वे सब मांगेंगे भीख आजकल कपड़े रहे खरीद,
नए-नए परिधानों में सज भीख की देंगे रसीद,
'शिशु' कहें दिल्ली की पुलिश है आजकल हक्की-बक्की,
कहीं भिखारी के चक्कर में दूसरा ना पीसे जेलकी चक्की.

1 comment:

honesty project democracy said...

भिखारी से भी बदतर हैं ये दिल्ली के भ्रष्ट नेता और मंत्री भिखारी दो.चार और दस रूपये भीख मांगते हैं ,लेकिन ये नेता तो कड़ोरों लूट लेतें हैं और उसके बाद जनता पर शासन भी करते हैं ,ये भिखारी तो इन नेताओं से बेहतर हैं ...इन भिखारियों को देश रत्न और इन भ्रष्ट नेताओं को गद्दारी का सम्मान मिलना चाहिए क्योकि ये भिखारी हैं लेकिन इनकी तरह बेईमान नहीं ...इन भ्रष्ट नेताओं को सजा के तौर पे इन भिखारियों के पांव दवाने चाहिए ...

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