जीवन की बहती धारा में-
संयम और विशवास नहीं,
प्यार मोहब्बत मिलना मुश्किल
अब हंसना भी कुछ ख़ास नहीं।
झूठी आशा, घोर निराशा,
अपनों से कोई आश नहीं,
उन्नति देखी इसकी-उसकी,
यह हमको बर्दाश्त नहीं.
बिल वजह की बहस हो रही
मुर्दा है यह लाश नहीं,
बदबू आती कूड़ाघर से,
कहना इसको बास नहीं।
जो भी पढ़ा-लिखा बचपन में-
वह सच्चा इतिहास नहीं,
ले-देकर लिखवाया जाता-
मंदिर-मस्जिद पास नहीं।
राजनीति की बातें करना-
'शिशु' के बस की बात नहीं,
गांधी जी का चेला बनना-
भी मेरी औकात नहीं।
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