मानव द्वारा है ये विकसति है या प्रकोप ये प्रकृति द्वारा,
हे मानव! इस कटु सत्य से तुम कर सकते नहीं किनारा।
आया है भूकम्प भयावह गली गाँव की सूनी है
शहरों की दुर्गति देखो पर इससे अधिक चौगुनी है
हाहाकार मचा चहुंओर, मानव तुझको घूर रहा
और प्रशासन-शासन भी आगे तेरे मज़बूर रहा
'शिशु' की मानव से अपील ये-सुधर, न अब कर देर
प्रकृति से खिलवाड़ किया तो वो ना देखे देर-सबेर।।
हे मानव! इस कटु सत्य से तुम कर सकते नहीं किनारा।
आया है भूकम्प भयावह गली गाँव की सूनी है
शहरों की दुर्गति देखो पर इससे अधिक चौगुनी है
हाहाकार मचा चहुंओर, मानव तुझको घूर रहा
और प्रशासन-शासन भी आगे तेरे मज़बूर रहा
'शिशु' की मानव से अपील ये-सुधर, न अब कर देर
प्रकृति से खिलवाड़ किया तो वो ना देखे देर-सबेर।।
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