दादा रहें, दादी रहें, बनीं बूढ़ी खाला रहें!
पेंशन बरक़रार सबकी साठ'साला रहे।
कड़कड़ाती सर्द में हो तापने को आग़,
हाथ में अख़बार, चाय का प्याला रहे।
दोस्तों का साथ हो तब पुरानी याद में,
गप्पबाज़ी के लिए मौजूद म'साला रहे।
जो पढ़े थे साथ बचपन में, जहन में हैं,
उन सभी की ज़िन्दगानी में उजाला रहे।
जिस बदौलत हैं 'शिशु' इस मुक़ाम पर,
वो याद सब गुरु'जी और पाठशाला रहें।
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