क़रीब कोई बीस साल पहले की बात है। एक देश में एक परिवार पापड़ बनाकर बेचता था। उनके दिन बहुत गरीबी में बीत रहे थे। फ़िर उन्हें उनके पड़ोसी ने बताया कि, आप बैंक से लोन ले लीजिए। बैंक गरीबों को रोजगार के लिए लोन देता है, जिसे धीरे धीरे करके चुकाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने एक बैंक से लोन लिया। इसके बावजूद भी उनकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि और भी कमज़ोर होती गयी।
उनकी इस स्थित का कारण दो लोग थे-एक वो बैंक जो लोन वापस लेने के लिए उन पर अत्याचार कर रहा था (जबकि उस समय अन्य कम्पनी वाले लोग लोन वापस नहीं कर रहे थे) और दूसरा उस देश का कंपनी क़ानून जो छोटे-छोटे उद्योंगों को पनपने नहीं दे रहा था। कुछ वर्षों बाद वह परिवार घोर ग़रीबी से तंग आकर विदेश में जाकर बस गया। उनका एक होनहार पुत्र, जिसने चाणक्य की तरह क़सम खाई कि, वह उस देश से और वहाँ के बैंकों से अपने परिवार का बदला लेकर रहेगा।
इसी दौरान उस देश में एक नेता का उदय हुआ, जिनने देश की ग़रीब जनता को सपना दिखाया कि वह कारोबार को आसान बना देगें (हालांकि उद्योग का गरीबों से कोई ताल्लुक़ नहीं था) फिर भी लोगों ने ख़ूब तालियां बजाई। जीतने के बाद उन्होंने एलान किया कि, अब कोई भी व्यापारी (यहां व्यापारी का मतलब बड़े उद्योगपति से था) बिना किसी गारंटी के कितना भी लोन ले सकता है, लेकिन इसके लिए शर्त ये थी वह अपने व्यापार में लिखेगा कि यह वस्तु उसी देश में तैयार की गई है (हालांकि वह वस्तु उसके पड़ोसी दुश्मन देश से बनकर आती और आते ही उस पर रबर लग जाती कि, यह वस्तु यहीं बनी है) जरूर लिखेगा। विपक्ष ने आरोपों में कहा कि, उनने देश की सत्ता को कंपनियों की गोदी में रख दिया है और सच्चाई थी भी कि अब उस देश में हर चीज़ बाज़ार थी। और इधर उस देश की गोदी मीडिया उनके गुणगान में व्यस्त थी।
इसके बाद वही हुआ, जैसा कि, उन व्यापारी व्यक्ति ने प्रण लिया था कि, वह उस देश और वहां की बैंकिंग को बर्बाद कर देगें, तो, उनने एक नामी गिरामी बैंक को चूना लगाकर उस देश से रफ़ूचक्कर हो गये। यह सब तब हुआ जबकि उस देश के ख्याति प्राप्त नेता ने चुनाव से पहले कहा था कि कोई भी भ्रष्टाचारी हो उसे सख्त से सख्त सजा मिलेगी (हालांकि, महान नेता ने यह कभी नहीं कहा था की, भ्रष्टाचारी को भागने नहीं दिया जाएगा)।
जहाँ आजकल, उस देश के बैंक भागे हुए व्यक्ति के बचे-खुचे समान की नीलामी में व्यस्त है, वहीं ख्याति प्राप्त महान नेता लोगों को रोज़गार के लिए खाने पीने की वस्तुवें बेंचने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
डिस्क्लेमर: इस कहानी का किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।
#शिशु
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