दवा-दारू।😊
सितम इस क़दर आज ढाए हो तुम!
लगता है आज फिर अद्धा चढ़ाए हो तुम!
मैं भी पीना चाहता हूँ तुम्हारे साथ प्रिय,
मेरे लिए क्या ज़हर ख़रीद लाए हो तुम?
क्यूँ छोड़ दिया था पीना-पिलाना 'ए दोस्त'-
मुद्दतों बाद मैख़ाने में नज़र आए हो तुम?
खुल'कर कहो सब हाले दिल 'शिशु' से,
ग़मों को दिल में क्यों दबाए हो तुम?
मुझपे ख़ुद कर्जा अदायगी है बहुतों का,
अब कहो, मेरे घर क्यूँ आए हो तुम।
#नज़र_नज़र_का_फ़ेर #शिशु
No comments:
Post a Comment