प्रतिदिन अपमान का घूँट पीता हूँ,
हानि सहता हूँ,
लोग गाली गुफ्तारी देते हैं,
चिढ़ाते हैं, मुँह बनाते हैं,
ईर्ष्या करते हैं और न जाने क्या क्या!
फिर भी मैं उन सभी की खुशहाली
की कामना करता हूँ।
क्योंकि हरा भरा हूँ और...
मुँह से फूल झड़ते हैं मेरे।
शायद इसीलिए ही बेहया कहते हैं लोग मुझे।
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