सब रिश्तों से बढ़कर तुम,
रिश्तों की पुरवाई माँ...!
तुमसे खेत, तुम किसान माँ।
मेरे घर का राष्ट्रगान माँ।।
सुख-समृद्धि सब तुमसे है,
छप्पर-छानी और मकान माँ।
मेरा पहला विद्यालय हो,
तुम ही विद्यामाई माँ...!
सब रिश्तों से बढ़कर तुम,
रिश्तों की पुरवाई माँ...!
सुर, लय, राग, तराना माँ।
भजन, कहानी, गाना माँ।।
त्यौहारों की रौनक तुमसे,
भोजन, पानी, दाना माँ।।
पाककला में सबसे माहिर,
लगता तुम हलवाई माँ...!
सब रिश्तों से बढ़कर तुम,
रिश्तों की पुरवाई माँ...!
#शिशु #नज़र_नज़र_का_फ़ेर #माँ
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