व्यर्थ क्या, अव्यर्थ क्या है?
क्यों जिए,
क्यों मरे,
नैन थे,
भरे-भरे...
बात जब
पता चली,
रुठकर
ख़ता चली-
पूछने सवाल सबसे/
ज़िंदगी का अर्थ क्या है?
व्यर्थ क्या, अव्यर्थ क्या है...
रंग हमारा हरेरे की तरह है. तुमने समझा इसे अँधेरे की तरह है. करतूतें उनकी उजागर हो गई हैं, लिपट रहे जो लभेरे की तरह हैं. ज़िंदगी अस्त व्यस्त ...
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