राजाराम पी रहे दारू, उधर उर्मिला भूखी-प्यासी,
क्यूंकि सास ने यही सिखाया पत्नी पति की होती दासी।
पिछले साल भी कर्वाचौथ में पीकर पति घर आए थे,
देसी पी थी दोस्त यार संग इंग्लिश लेकर आए थे।
आते ही घर में उसने ऐसा कोहराम मचाया था,
पिटते-पिटते बची उर्मिला सास ने उसे बचाया था।
सोच रही इस बार पति को पीने से ना रोकेगी,
हो जाएँ बेहोश भले ही पीते बीच न टोकेगी।
करवाचौथ का पूरा मर्म उसे समझ अब आया है,
'शिशु' कहें ये व्रत-पूजा सब पुरुषों की माया है।
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