Wednesday, July 21, 2010

गांधी जी के देश में, नेता जी के वेश में , हो रहा हल्ला-गुल्ला, मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

गांधी जी के देश में,
नेता जी के वेश में ,
हो रहा हल्ला-गुल्ला
मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

भ्रष्टाचार जवान हैं,
मंहगाई का मान है,
इससे तौबा वल्ला-वल्ला..
मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

जाति धर्म के नाम से
मिलते वोट हैं दाम से
कहते शान से शम्सुल्ला
मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

होती दुर्घटना है रोज
क्यूँ होती ये होती खोज
अबतब कोई केश ना खुल्ला 
मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

रिश्वत लेते हैं कुछ जज
जाते काशी, काबा हज
करके खाली 'शिशु' का गल्ला
मिला नहीं हमको रसगुल्ला...

1 comment:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

kamaal hai bhaayi....kahaan the ab tak....o sorry....ham hi kahi aur the....

Popular Posts

Modern ideology

I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...