Thursday, June 30, 2011

वाह! क्या है खूबसूरत! बादलों का ये नजारा.


वाह! क्या है खूबसूरत
बादलों का ये नजारा
कर रही थी झील आकर
पास में मेरे इशारा.

झील जो इस पार से 
और जो उस पार से 
जीतती है दिल हमारा 
अपने गहरे प्यार से

फूल स्वागत कर रहे हैं 
खिलखिलाते जोर से 
और बारिश खींचती है  
ध्यान अपने शोर से 

हैं वृक्ष ऊँचे ओक के 
जो दे रहे आशीष हैं 
झील के नजदीक ही  
देखो खड़े प्रभु ईश हैं

है भाप बनती दीखती 
जो ध्यान बरबस खींचती 
वो भाप ही फिर गरजकर 
है प्रकृति उपवन सींचती 

है धूप पल में छाँव भी 
है सर्द सा एहसास भी 
है दूर लेकिन लग रहा
ये है हमारे पास ही  

गीत और संगीत, गायक  
और रचनाकार भी 
गा रहे हैं गीत पंक्षी
है बांस की झंकार भी 

है कौन जो ये प्राकृतिक 
है चित्रकारी कर रहा 
या कल्पना आकर में 
फिर रंग सारे भर रहा 

है बादलों के बीच बैठा 
छुप, 'छुपा-रुस्तम' कहें 
'शिशु'  निरंकारी या उसे 
'शिव' 'सुन्दरम' 'सत्यम' कहें

4 comments:

Rajeysha said...

शि‍शुपाल जी काफी फुर्सत में हैं शायद..वरना आजकल बादल कि‍से याद रहते हैं।

Rajeysha said...

शि‍शुपाल जी काफी फुर्सत में हैं शायद..वरना आजकल बादल कि‍से याद रहते हैं।

RAHUL KUMAR PRAJAPATI said...

hi... sir i am Rahul kumar prajapati
aapke sare lekha bahut acche lagte hai... good. sir. ji...

Rajiv Rana said...

wah wah

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