Tuesday, March 20, 2018

...सिंहासन तुमसे हाले थे।

अजर रहो तुम अमर रहो!
पर ध्यान पुरानी बात रहे।
भूले से भूल न हो कोई,
मुश्किल चाहें हालात रहें।।
तुम ख़ास बहुत पर आम बने,
दिल्ली के बिगड़े काम बने!
रावण का अब जामा पहना,
तुम इतने क्यों बदनाम बने?
तुम पोल खोलने वाले थे,
सब लोग तुम्हारे खाले* थे।
तुम इतने थे निर्भीक कभी,
सिंहासन तुमसे हाले थे।
अब भूल चूक लेनी देनी,
माफ़ी में दिन हो बिता रहे।
कबसे अपनों को हार गए,
ख़ुद को ही ख़ुद से जिता रहे।
*नीचे

No comments:

Popular Posts

Internship

After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...