Thursday, March 28, 2019

तुमसे है प्यार

ये धरती ये गगन 
फूलो से भरा चमन
कलकल करती नदियाँ 
और उसकी धवल धार
समुद्र की लहरे
जगाये दिल में उदगार
पहाड़ो की ऊँची चोटी
बर्फ का उस पर सिंगार
हाँ मुझे तुमसे है प्यार l
वो बसंत की बहार
पुरवा की रसति बौछार
माटी से आती खुशबु
मन में आये अब कहदु
ऐसा नहीं कोई संसार
जहाँ ऋतुओ का मने त्यौहार
हाँ मुझे तुमसे है प्यार l
जहाँ अतिथि देवो भवः मान
सभी धर्मो का यहाँ सम्मान
जहाँ तरह तरह के व्यंजन
एक दूसरे का पूर्ण अभिनन्दन
संस्कृतियों का जहाँ खजाना
ये यथार्थ सभी ने जाना
स्वर्ग हो धरती का जहाँ
वो है प्यारा हिंदुस्तान
सिखाये जग को सदाचार
हाँ मुझे तुमसे है प्यार l
वेद प्रकाश, मुम्बई, 

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