कोटि-कोटि तुमको नमन, तुमसे है अरदास,
हे संसद के देवता तुमसे मेरी आस!
बिजली, पानी गाँव में पहुंचा दो सरकार,
सड़क बना दो देल्ली जैसी तुमसे है दरकार!
काम दिलादो गाँव में, हो जैसी जिसकी शिक्षा,
मांग रहा हक़ आपसे नहीं समझना भिक्षा!
गमन-आगमन हो सुगम ऐसा करो उपाय,
रेल चले या ना चले बस लेकिन चल जाय!
कसम तुम्हे जो दी गयी उसपर खरे उतरना,
लाज ना जाये कुर्सी की ऐसा कुछ न करना!
विनती अंतिम एक है, हे संसद के देव,
रोटी, घर, कपडा मिले उत्तम स्वस्थ सदैव!
गलत कहा यदि दास ने तो देव रखो ये ध्यान,
क्षमा करो 'शिशु' समझ कर या अज्ञानी जान!
Wednesday, June 3, 2009
हे संसद के देवता तुमसे मेरी आस...............
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6 comments:
वाह शिशु भाई कमाल है
वाह प्रजापति जी कमाल कर दिया ना तो ऐसी प्रार्थना कभी सुनी ना पढी कि एक प्रजा के पति को भी किसी से प्रार्थना कर्नी पडे चो भी उसकी प्रजा मे से चुनी गयी सरकार से 1 कमाल की कवित है शुभ्कामनायेम्
बहुत बेहतरीन भावः ब्यक्त किये है सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
that was beautiful, Shishu. So simple that an agyani like me can also understand it....Keep writing ...
two small typos - (i) samjhana ki jagah samajhna; and (ii) laaj na jaye kursi ki aisa kuch na karna... - please see i guess there is something missing there... !
aapka,
vj
achche bhav se paripoorn rachana . badhai ho .
dear,
bahut beautiful vichardhara hai. aapki. aur aasha karta hoon. ki in future tum is tarike ki kavita likte rahenge
dinesh
micronet computer
9212115302
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