हाय महंगाई है! हाय महंगाई 'शिशु'
शोर चहुँओर सुनायी रहा भोर से।
जाति-धर्म इसका न सभी जन एक हैं,
त्राहि-माम त्राहि-माम सुनो सभी छोर से।।
बड़े बड़े लोग भी दाल-भात बोल रहे,
कितने बेहाल सभी भेद जो हैं खोल रहे।
आते-जाते पैदल ही हेल्थ की दुहाई देते।
अच्छे दिन कहाँ हो, ख़ुदा की ख़ुदाई लेते।
हैं इतने बेहाल, अब होता न गुजारा है,
भक्त संग आपिया भी महंगाई का मारा है।
शोर चहुँओर सुनायी रहा भोर से।
जाति-धर्म इसका न सभी जन एक हैं,
त्राहि-माम त्राहि-माम सुनो सभी छोर से।।
बड़े बड़े लोग भी दाल-भात बोल रहे,
कितने बेहाल सभी भेद जो हैं खोल रहे।
आते-जाते पैदल ही हेल्थ की दुहाई देते।
अच्छे दिन कहाँ हो, ख़ुदा की ख़ुदाई लेते।
हैं इतने बेहाल, अब होता न गुजारा है,
भक्त संग आपिया भी महंगाई का मारा है।
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