रात के सफ़र में आप अकेले नहीं हैं 'शिशु',
चाँद-तारे, हवाओं का कारवां भी साथ है।
उसके प्यार का नशा इस क़दर चढ़ा
'शिशु' अब पीने की नौबत नहीं आती।
इस कदर सँभला हूँ बिगड़कर कि,
मुझमें कोईं सोहबत नज़र नहीं आती।
सोहबत:- वह बात (विशेषतः बुरी बात) जो बुरी संगत के कारण सीखी गयी हो।
शहादत को यूँही कभी भुलाया न जाएगा,
गुनाहगार को कटघरे में लाया ही जाएगा।।
बक्से नहीं जाएंगे जो साँप आस्तीनों में हैं,
उनको पहले ही शूली पर चढ़ाया जाएगा।।
कितनी पी है ख़बर नहीं कुछ,
फिर से कुछ पी लेता हूँ।
रो-रो जीवन कब तक काटूँ,
अब हंस कर जी लेता हूँ।।
No comments:
Post a Comment