Wednesday, October 4, 2017

थानापति बाबा

हमारे गांव के लोकप्रिय ग्राम देवताओं में श्री थानापति बाबा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बाबा का स्थान कुरसठ से गौसगंज जाने वाली सड़क के किनारे है। जिस स्थान की दूरी गाँव कुरसठ से लगभग एक किलोमीटर है।

मेरा बचपन, मेरे पिता का बचपन तथा मेरे दादा बचपन
सबके लिए इस स्थान की महत्ता है। मेरे दादा किसान थे, उन्होंने हमें बताया था इसके पास उपस्थिति कुएं से पूरे इलाके के किसान पानी भरने आते थे, यहाँ छाँव के लिए एक पकरिये का पेड़ था, जो राहगीरों के लिए सराय का कार्य करता था। लोग बैठकर सुस्ताते थे और फिर अपने गंतव्य के लिए रवाना होते थे। बाद में पकरिये का पेड़ गिर गया तब मेरे सामने यहाँ भल्लू भुरजी ने एक पीपल का पेड़ लगाया था। आज यह पेड़ इतना बड़ा हो गया है कि यकीन नहीं होता कि इसकी उम्र मेरी  उम्र से कम है।

मेरे अंदर का डर इस स्थान की वजह से ही भगा था। पहले हम खेत जाते समय डरते थे तब बुज़ुर्ग पांडे बाबा ने सिखाया था, यदि दर लगे तो बरम्बाबा का नाम लेने भर से भय का भूत भाग जाता है। इस स्थान की बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं।यह स्थान आधात्म्य का केंद्र होने के साथ ही साथ पौराणिक रूप से भी महत्व रखता है। यहाँ किसी ने कभी टटका टोना नहीं किया और न ही कोई अंधविश्वास से कोई काम लिया। यहां लोग अपनी आस्था और विश्वास की वजह से आते हैं। बाबा किसी एक जाति और मज़हब के नहीं हैं वरन यहां हिन्दू मुसलमान, पढ़े लिखे या अनपढ़ सभी का सर स्थान से गुजरते ही नतमस्तक हो जाता है। बाबा के स्थान पर लोग मन्नत मानते हैं और बहुतों को मन्नतें पूरी भी हुई हैं। हम आज भी खेत जाते और खेत से आते समय यहाँ पानी पिये बिना नहीं रहा पाते।

वैसे तो इस स्थान हमेशा कुछ न होता रहता है लेकिन महिलाओं के पवित्र त्यौहार करवाचौथ के दिन यहाँ चहल-पहल बढ़ जाती है। दो दिन तक चलने वाले मेले के आखिरी दिन दंगल का आयोजन किया जाता है जहाँ जिले के प्रसिद्ध पहलवानों से लेकर देश और प्रदेश के पहलवान हिस्सा लेते हैं। गांव के नौजवानों को भी इसी बहाने हाँथ आजमाने का मौक़ा मिल जाता है। समय के बदले स्वरूप से बावजूद भी आज भी यहाँ लोकप्रिय लोक नृत्य नौटंकी का आयोजन किया जाता है। कलाकारों के लिए यह स्थान आज भी वैसा ही है जैसे हमारे बुजुर्गों के समय था।

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