कुछ अशआर
फरेबी दुनिया मे पढ़कर गुज़र नहीं होगी
तू अपने बच्चों को ज़ाहिल बना गँवार बना
वो मेरे साथ मे रहता , था दोस्तों की तरह
बिछड़ के मुझसे वो ज़ालिम सितम-शआर बना
यहाँ किसी के लिए कोई कुछ नहीं करता
तू अपने आप ही अपना अलग दयार बना
बिछड़ के अपनों से कोई भी ख़ुश नहीं रहता
कोई भी बात हो , रिश्ते मे मत दरार बना
सफ़र सफ़र है, सफ़र मे बिछड़ना पड़ता है
किसी के वास्ते ख़ुद को न बेक़रार बना
सितम-शआर— हिंसक
दयार- साम्राज्य
सत्याधार 'सत्या'
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