धोखे से कुछ बात बन गई, तब 'हुजूर' हक़दार।
और ग़लत हो जाने पर तब ' पिछली सरकार'।।
तब पिछली सरकार, कौम को समझ न आता।
प्रश्न पूछिए यदि 'वजीर' से, वह धमकाता।।
कहें 'शिशु' तुग़लकी फ़रमानों को कैसे रोंके?
'भाग्य विधाता' जब देते हों ख़ुद ही ख़ुद को धोखे।।
शब्दार्थ
पिछली सरकार- नेहरूजी
भाग्य विधाता: जनता
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