अखबारों का बासीपन।
टीवी देख उदासीपन।।
जापनाह की करे प्रशंसा,
आलोचक का दासी मन।
हुल्लड़बाजी, दंगा करते,
मूरख यहाँ हुलासी बन।
मगहर में भी मिलता मोक्ष,
सुनकर आए, काशी जन।
लाइन लगी बैंक के बाहर,
होती देख निकासी धन।
©शिशु #नज़र_नज़र_का_फ़ेर
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हुलासी: अत्यधिक उत्साहित
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