Wednesday, January 21, 2009

हे मातृभूमि आज़ादी की...!

हे मातृभूमि आज़ादी की
आज़ादी दो निर्धनता से
सब हष्ट-पुष्ट बलवान बने
आज़ादी दो निर्बलता से


निर्धन-धनवान न हो दुश्मन
मन में उनके प्रकाश भर दो
सब मिलकर काम करे अच्छा
उज्ज्वल मन तुम उनके कर दो


शत्रुता मिटे, भाई-चारा
बन्धुत्व भावना कायम हो
ना शरहद कोई ओर रहे
संसार में हर कोई मानव हो


शिक्षा हो ऐसी सभी जगह सब
काम करें, मेहनतकश हों
गांवो में भी उजियार हो
भय, अंधकार से दूरी हो


धन-धान्य रहे, घर मिले सभी
सबके सपने कुल पूरे हों
जो चाहें पूरा हो जाये
ना वादे कोई अधूरे हों


आतंक रहे ना आतंकी,
कुछ ऐसा तुम उपाय कर दो
कटुता है उनके जीवन में
सब प्रेमभाव मन में भर दो


न जंग हो ना हो बमबारी
न हो कोई मारा-मारी
सब चोर-लुटेरे सुधर जायें
हर पुलिस से उनकी यारी


नेता सब अच्छे हो जाएं
वादे हो उनके सब सच्चे
हैं देश चलाने वाले जो
सारे के सारे हों अच्छे


महिला की इज्जत हो पूरी
अधिकार मिले जो हैं उनके
ना हो उत्पीड़न कैसा भी
परिवार मिले उनको मनके


'शिशु' कहें अगर ये हो जाता
तो इसे कहूंगा आजादी
है किन्तु, परन्तु बात नहीं
कहते हैं अभी है बरबादी

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