बोल वचन की धूम है जैसे ही चुनाव आया
जनता ने सब देख लिया है नेताओं ने फ़रमाया
भाषणबाजी हो रही घमासान गंभीर
हर दल में कोई ना कोई बना हुआ है वीर
वोट हमें ही दीजिये नाम मेरा बलवीर
मैंने ही विकास करवाया मैं ही बदलूँगा का तकदीर
आचार संहिता की हो रही छीछालेदर रोज
बोल वचन बोलने वालों को आयोग रहा है खोज
पिता-पुत्र आजमा रहे अपना अपना भाग्य
जीत गए तो ठीक है ना जीते वैराग्य
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