अजीब शहर है ये, लोग बेगाने से लगते हैं,
अपना यंहा कोई नहीं, सभी सयाने से लगते हैं।
मै खोजता हूँ वो जगह जंहा कुछ राहत मिले,
वर्दीधारी लोग वंहा से भी भगाने लगते हैं।
जिधर भी जाओ भीड़-भाड़ है, सोचता हूँ पैदल चलूँ,
पर कार वाले सड़क पर हड़काने लगते हैं।
सोचता हूँ कुछ सोकर वक्त गुजारूं,
रात को ऑफिस वाले जगाने लगते हैं।
देखने का मन करता है पुरानी इमारतें,
जब जाओ तो वंहा कुछ न कुछ बनाने लगते हैं।
दिल करता है जीभर कर रोऊँ,
लेकिन लोग आकर हँसाने लगते हैं।
'शिशु' यंहा किसी को कुछ पता नहीं,
फिर भी आकर समझाने लगते हैं।
Thursday, May 28, 2009
अजीब शहर है ये, लोग बेगाने से लगते हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है- विवाह काले रति संप्रयोगे प्राणाताये सर्वधनापहारे। विप्रभ्य चार्थे ह्यन्नुतम वदते पक्षी वृतान्यत्नूर।। अर्थात व...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे, कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे, हर्षित हो सहगान कर रहे, अपने पर अभिमान कर ...
-
विकलांगता अभिषाप है या वरदान यह बात मेरे समझ से परे है। परन्तु यह कहना सही होगा उनके बारे में ‘‘हम भी इंसान हैं तुम्हारी तरह, न कुछ खास और न...
-
इंतज़ार है पक्का शत्रु, उस पर कर न यकीन जीना शान से चाह रहे तो ख़ुद को समझ न दीन ख़ुद को समझ न दीन काम कल पर ना छोड़ो लगन से करके काम दाम फल स...
-
गरीबी की पहचान को लेकर व्यापक बहस चल रही है। सरकार ने यह साबित करने की कोशिश की है कि गरीबी कम हुई है। इसके लिए आंकड़े तक सरकार द्वारा उपलब्ध...
-
सखी वे मुझसे कहकर जाते....... अपनी बात हमें बतलाते तो क्या उनको नही पिलाती मदिरा की तुम बात करो मत और भी चीजे हैं पीने की इससे नही भरा दिल स...
-
CAN AMICABLE SETTLEMENT TURNED BY NATIONALISED BANKS WITH REGARD TO DISABILITY ? Petition
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...
Internship
After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...
-
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है- विवाह काले रति संप्रयोगे प्राणाताये सर्वधनापहारे। विप्रभ्य चार्थे ह्यन्नुतम वदते पक्षी वृतान्यत्नूर।। अर्थात व...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे, कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे, हर्षित हो सहगान कर रहे, अपने पर अभिमान कर ...
1 comment:
क्या किया जाए भई, अब तो सभी शहर ऐसे हो गये हैं। वैसे इसी बहाने आपकी कविताई से परिचित हो गये, अच्छा लगा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Post a Comment