Monday, September 13, 2010

दोहे -दोमुहें

लज्ज़ा, हया, शरम की बातें करना अब बेकार,
ज्य़ादा बात अगर की तूने तो पड़ जायेगी मार.

महिला सशक्तिकरण जपाकर पायेगा कुछ काम,
काम मिलेगा एनजीओ में मिलेगा अच्छा दाम.

आरक्षण की बात अगर हो हाँ-जी-हाँ-जी करना,
घर मी बीबी डांट पिलाए तो तू बिलकुल डरना.

ध्रूमपान करती हो महिला कभी ना करना विरोध,
महिला कितनी ही गुस्से में हो, तू ना करना क्रोध.

नहीं बहन जी कहना अब से मैडम जी तू बोल,
आंटी कहा किसी को तूने तो पड़ जायेगी धौल.

सुन्दर हो कहने से बच्चू अब नहीं चलेगा काम,
वाऊ सेक्सी, लूकिंग हाट ही कहना सुबहो शाम.

अंतरंग की बातें कुछ हैं 'शिशु' वो भी तुझे बताउँगा ,
पब्लिक प्लेस में नहीं, तुझे मैं आकर के समझाउंगा
 

4 comments:

POOJA... said...

बहुत खूब... :)
लगता है महिलाओं के साथ आपका अनुभव कुछ गड़बड़ है, कहीं आपकी बॉस कोई महिला ही तो नहीं... खैर! मैन भी एक N.G.O. में कार्यरत हूँ, और जहाँ तक मेरा अनुभव है, वहाँ दाम तो उतना अच्छा नहीं मिलता जितना वहां के काम करने पश्चात खुशी और शांती...

Anamikaghatak said...

कुछ हद तक सही कहा आपने ..........पर आपकी भाषाई पकड़ अच्छी है........

कविता रावत said...

आरक्षण की बात अगर हो हाँ-जी-हाँ-जी करना,
घर मी बीबी डांट पिलाए तो तू बिलकुल डरना.
...wah kya baat hai!!!

ZEAL said...

.

शिशुपाल जी,

जो तस्वीर आपने महिलाओं की खिंची है, क्या सभी वैसी ही होती हैं ?

.

Popular Posts

Internship

After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...