आबोहवा बदल गई, बदल गया परिवेश।
भाग हो गए दुःख सभी खुशियां रह गयीं शेष।।
मित्र खड़े हों साथ में तब दुःख की क्या बात!
दिल से दिल मिलते रहें और हांथ से हांथ।।
दौलतमंद शहर हैं लेकिन गांव में बरसे प्यार।
आते-जाते सब रहें, समझें 'शिशु' ये सार।।
मर्यादा में बात हो रही कितनी मीठी बोली है।
बूढ़ा बच्चा और जवान जिसने भी जब बोली है।
भाग हो गए दुःख सभी खुशियां रह गयीं शेष।।
मित्र खड़े हों साथ में तब दुःख की क्या बात!
दिल से दिल मिलते रहें और हांथ से हांथ।।
दौलतमंद शहर हैं लेकिन गांव में बरसे प्यार।
आते-जाते सब रहें, समझें 'शिशु' ये सार।।
मर्यादा में बात हो रही कितनी मीठी बोली है।
बूढ़ा बच्चा और जवान जिसने भी जब बोली है।
No comments:
Post a Comment